जान के अनजान हो ना

एक बुडिया जिसका बेटा विदेस में रेता था व हर महीने अपनी माँ को एक खत में एक चेक बेजता था वो बुडिया उस ख़त को वसूल करती उसे चूमती अपनी आँखों से लगाती और फिर उसको बक्से में बंद करके रख देती वो ये तो जानती थी कि इसके प्यारे बेटे का बड़ा ही प्यारा ख़त है लेकिन इस अनपढ़ बुडिया को पता नहीं था की ये ख़त नहीं बल्कि उसके बेटे ने पैसे का चेक भेजा हे जिसे  वो बैंक लेकर जाती तो उसको पैसे मिलते लेकिन वो बुडिया गरीबी और फाके में मर गयी उसको सारी जिंदगी ये न पता चला सका कि उसका बेटा उसके लिए पैसे भेजता रहा था
अल्लहा का कलाम हमारे पास आया लेकिन हमने भी उस बुडिया की तरह इसको आँखों से लगाया इसको चूमा और सीने से लगाया गिलाफ में बंद करके उची जगह पर एहतराम रख दिया लेकिन इसके फायदा और हिदायत हासिल ना कि

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