ईमान कि हद'
ईमान कि हद'
एक ज़ईफ़ बुज़ुर्ग औरत अपनी झोपड़ी में रात को
इबादत से फ़ारिग़ होकर सोने से पहले अल्लाह तआला से अर्ज़ कर रही थी,
"ऐय सबको पालने वाले क्या आज तू मुझे भूल
गया ? आज कहीं से भी मेरा खाना नहीं आया ?"
एक 'नास्तिक' ने उधर से
गुज़रते हुए उसकी ये बात सुनली और फ़ौरन उसके शैतानी दिमाग़ में उस बुज़ुर्ग औरत का
मज़ाक़ बनाने का प्लान आ गया !
उसने एक टिफ़िन में बोहोत सा खाना पैक कराया और
अपने नौकर से कहा "ये खाना उस बुढ़िया को दे आओ और जब वो पूछे कि ये खाना
किसने भेजा है तो तू कह देना कि ये खाना 'शैतान' ने भेजा है
।"
नौकर ने झोपड़ी में जाकर जब वो खाना उस बुज़ुर्ग
औरत को दिया तो वो अपने परवरदिगार का शुक्र अदा करने लगी, लेकिन ये नहीं
पूछा कि ये खाना किसने भेजा है ।
आख़िर मजबूर होकर लौटते वक़्त नौकर को ही पूछना
पड़ा के "तुमने ये तो पूछा ही नहीं के ये खाना किसने भेजा है ?"
बुज़ुर्ग औरत ने जवाब दिया,
"मुझे ये पूछने की ज़रूरत ही नहीं है
क्योंकी मेरा परवरदिगार इतना बड़ा है कि अगर वो शैतान को भी हुक्म दे दे तो उस
शैतान को भी मेरे लिए खाना भेजना पड़ेगा !!!"👌🏻👌🏻
. अल्लाहु अकबर
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