क्या गैर मुस्लिम को क़ुरआन दिया जा सकता है
सवाल
"क्या गैर मुस्लिम को क़ुरआन दिया जा
सकता है???"
👉 जवाब
हमारे बहुत से मुस्लिम भाई बहनो को यह गलतफहमी
है कि क़ुरआन सिर्फ मुसलमानों की किताब है और गैर मुस्लिमों को क़ुरान नहीं दे सकते
क्योंकि वो नापाक होते है और क़ुरान को पाकी की हालत में ही छू सकते है।
आइये इस बात को समझने के लिए क़ुरआन का फ़ैसला
देखें।
"रमज़ान का महीना वह है, जिसमें
क़ुरान उतारा गया, जो लोगों के लिए हिदायत है।"
(सूरः बक़र 2:185)
इस आयत में अल्लाह ने कहा कि ये क़ुरआन लोगों के
लिए हिदायत है।
और देखे, अल्लाह
ने कहा,
"बहुत बाबरकत है वो अल्लाह जिसने अपने
बन्दे पर फुरकान (क़ुरआन) नाज़िल किया, ताकि
वो तमाम लोगों के लिये आगाह करने वाला बन जाये। (सूरः फुरकान 25:1)"
क़ुरआन में आगे अल्लाह ने कहा,
"यह क़ुरआन सभी लोगों के लिए इत्तला नामा
है, कि इसके ज़रिये वे बाख़बर कर दिए जायें और पूरी
तरह से मालूम कर लें कि अल्लाह एक ही इबादत के लायक है, और
ताकि अक़्लमंद लोग सोच समझ लें। (सूरः इब्राहीम 14:52)"
मेरे भाइयों ज़रा ध्यान से पढ़े इस आयत को यहाँ
अल्लाह ने साफ तौर पर बयान कर दिया है कि ये क़ुरआन तमाम लोगों के लिए है।
अब ये ऐतराज़ कि गैरमुस्लिम नापाक होते है, तो
मेरे भाइयों शरीयत के ये अहकाम मुस्लिम के साथ है, गैर
मुस्लिम के साथ नहीं।
खुद नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने
गैर मुस्लिम बादशाहो को जिनमें,
1. नजाशी शाह हबश,
2. मुक़ोकिस, शाह
मिस्र,
3. शाह फारस खुसरू परवेज़,
4. क़ैसर शाहे रूम,
5. मुंज़ीर बिन सावी,
6. हौज़ा बिन अली, साहिबे
यमामा,
7. हारिस बिन अबी शिम्र गस्सानी, दमिश्क
के हाकिम,
8. शाह अमान,
(रहमतुलिल आलमीन, अर
रहीकुल मख्तूम पेज 562-577)
को इस्लाम की दावत देने के लिए खत भेजे जिसमें
क़ुरआन की आयात लिखी होती थी। जिन खतो को पढ़कर कोई इस्लाम कुबूल कर लेता और कोई पढ़ कर
फाड़ देता।
क्या नबी को नहीं पता था कि जिसके पास क़ुरआन
भेजा जा रहा है वो गैर मुस्लिम है, नापाक
है??
इसके इलावा क़ुरआन में 19
जगह "ऐ लोगों" कहकर, 9 जगह "ऐ इंसान" या
"इंसान" कहकर, और 7
जगहों पर "ऐ आदम की संतान" कहकर पुकारा है।
इन तमाम जगहों पर मुस्लिम समेत सब लोगों से
खिताब किया जा रहा है।
अब मुसलमानो की ज़िम्मेदारी है कि वो लोगों का
अपने रब की किताब से ताल्लुक जोड़ दे।
क़ुरआन में अल्लाह ने मुस्लिमों से कहा,
"तुम बहतरीन उम्मत हो जो लोगो के लिये
पैदा की गई है, कि तुम उन्हें भलाई का हुक्म देते हो
और बुराई से रोकते हो। (सूरः अल इमरान 3:110)"
मेरे भाइयों यहाँ अल्लाह ने साफ बयान कर दिया
है कि मुस्लिम की पैदाइश ही लोगों को अल्लाह की तरफ बुलाने के लिए हुई है।
अब लोगों को किस चीज़ से अल्लाह की तरफ बुलाया
जाये, इस पर क़ुरआन का साफ फैसला देखें,
"हमने तो क़ुरआन को नसीहत हासिल करने के
वास्ते आसान कर दिया है, तो कोई है जो नसीहत हासिल करें। (सूरः
क़मर 54:17,22,32,40)"
"और हम ने तो इस क़ुरान में लोगों के
समझने के लिए हर तरह से सभी मिसाल बयान कर दिए है। (सूरः इस्रा 17:89)"
लोगों को अल्लाह की तरफ बुलाने के लिए सबसे
बेहतर अल्लाह का कलाम ही है।
अल्लाह से दुआ है हम सबको सही बात समझने और
अल्लाह का कलाम उसके बन्दों तक पहुंचाने की तौफ़ीक़ अता फरमाये। आमीन या रब्बल आलमीन
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