इब्राहिम अलैहिस्सलाम की दुआ...



رَبِّ اجۡعَلۡنِیۡ مُقِیۡمَ الصَّلٰوۃِ  وَ مِنۡ ذُرِّیَّتِیۡ ٭ۖ رَبَّنَا وَ تَقَبَّلۡ دُعَآءِ ﴿۴۰

ए मेरे रब मुझे नमाज़ कायम करने वाला बना  और मेरी औलाद में से भी, ए हमारे रब  मेरी दुआ क़ुबूल फरमा

सूरह इब्राहिम :- 14 : 40
 नबी सल अल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ख्वाब बयान करते हुए फरमाया के जिस का सर पत्थर से कुचला जा रहा था वो क़ुरआन का हाफ़िज़ था मगर वो क़ुरआन से गाफिल हो गया और फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े बगैर सो जाया करता था।

सही बुखारी :- 1143
  अबू दर्दा रदी अल्लाहू अन्हो कहते है कि मेरे खलील सलअल्लाहु अलैही वसल्लम  ने मुझे वसीयत की है के तुम अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करना चाहे तुम टुकड़े टुकड़े कर दिए जाओ' और जला दिए जाओ, और फ़र्ज़ नमाज़ को जान बुझ कर मत छोड़ना क्योंकि जो जानबूझ कर फ़र्ज़ नमाज़ छोड़  दे तो उस पर से अल्लाह की पनाह उठ गई (यानी अब वो अल्लाह की पनाह में नही) और शराब मत पीना क्योंकि शराब तमाम बुराई की कुंजी (चाबी) है

सुनन इब्न माज़ा :- 4034
 हदीस: अब्दुल्लाह बिन बुरैदा रदी-अल्लाहू-अन्हु ने अपने वालिद से रिवायत किया की रसूल-अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हमारे और उनके मुनाफिकों के) दरमियान अहद नमाज़ है तो जिसने नमाज़ को छोड़ दिया उसने कुफ्र किया.

सुनन इब्न माज़ा :- 1079
और कुछ लोग ऐसे हैं जो अल्लाह के सिवा दूसरों को उसका बराबर ठहराते हैं, उनसे ऐसी मुहब्बत रखते हैं जैसी मुहब्बत अल्लाह से रखनी चाहिए, और जो ईमान वाले हैं वे सब से ज़्यादा अल्लाह से मुहब्बत रखने वाले हैं, और अगर ये ज़ालिम उस वक़्त को देख लें जबकि वे अज़ाब को देखेंगे कि ज़ोर सारा का सारा अल्लाह का है, और अल्लाह बड़ा सख़्त अज़ाब देने वाला है।

सूरह बकर :- 2 : 165
(ऐ नबी) कहिए कि अगर तुम अल्लाह से मुहब्बत करते हो तो मेरी पैरवी करो, अल्लाह भी तुमसे मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को माफ़ कर देगा, और अल्लाह बड़ा माफ़ करने वाला है, बड़ा मेहरबान है।

सूरह आले इमरान :- 3 : 31

सय्यदना जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि. बयान करते हैं के रसूलुल्लाह ने फ़रमाया हज्जे मबरूर की जज़ा नहीं है, मगर जन्नत। सहाबा रजि. ने पूछा: अल्लाह के नबी ! "हज्जे मबरूर किसे कहते हैं ?" आप ने फरमाया: "जिस के दरमियान लोगों को खाना खिलाया जाए और सलाम आम किया जाए।"
मुसनद अहमद   हदीस न. #4059

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