हदीस की बाते
हदीस की बाते
हर जान को मौत का मज़ा चखना है, और तुमको पूरा-पूरा अज्र तो बस क़यामत के दिन मिलेगा, पस जो शख़्स
आग से बचा लिया जाए और जन्नत में दाख़िल किया जाए वही कामयाब रहा, और दुनिया की ज़िंदगी तो बस धोके का सौदा है।
सूरह आले इमरान :- 3 : 185
और ऐसे लोगों की
तौबा क़बूल नहीं है जो बराबर गुनाह करते रहें, यहाँ तक कि जब
उनमें से किसी की मौत का वक़्त आजाए तब वह कहेः अब मैं तौबा करता हूँ, और
न उन लोगों की तौबा (क़ाबिले-क़बूल है) जो इस हाल में मरते हैं कि वह काफ़िर हैं,
उनके
लिए तो हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है।
सूरह निसा :- 4 : 18
हर जानदार को
मौत का मजा चखना है, और हम अच्छे और बुरे हालात में डाल कर तुम सब
की आजमाइश कर रहे है, आखिरकार तुम्हे हमारी तरफ ही पलटना है।
और ये अल्लाह के सिवाय उन्हें पूज रहें हैं जिसका कोई आसमानी सबूत नहीं, और ना वे खुद ही इसका कोई इल्म (ज्ञान) रखते हैं, ज़ालिमों का कोई सहायक नहीं।
और ये अल्लाह के सिवाय उन्हें पूज रहें हैं जिसका कोई आसमानी सबूत नहीं, और ना वे खुद ही इसका कोई इल्म (ज्ञान) रखते हैं, ज़ालिमों का कोई सहायक नहीं।
हे लोगों! एक मिसाल दी जा रही है, ज़रा
ध्यान से सुनो, अल्लाह के सिवाय तुम जिन-जिन को पुकारते रहे हो
वे एक मक्खी तो पैदा नहीं कर सकते अगर सारे के सारे जमा हो जाये, बल्कि
अगर मक्खी उनसे कोई चीज़ ले भागे तो यह तो उसे भी उससे छीन नहीं सकते। बड़ा कमज़ोर है
मांगने वाला और बहुत कमज़ोर है जिससे मांगा जा रहा है।
पवित्र
क़ुरआन, सूरः हज्ज
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