हज़रते जिबरईल पुकार उठे मौला ये क्या माजरा है...
मस्जिदे नबवी मे जमाअ्त हो रही थी इमामुल अम्बिया जमाअ्त करा रहे थे.. पढ़ने वाले मुक़्तदी चारो खलीफ़ा थे , हज़रते इमाम हुसैन की उम्र शरीफ़ 6 साल थी.. मदीना शरीफ़ की गलियों मे खेल रहे थे और मस्जिद मे आ गए , नाना के मुसल्ले की तरफ़ देखा... नाना सज़्दे मे गए नवासे ने छलॉग लगाइ और कॉधे पर बैठ गए अर्श वाले हैरान.. फ़रिश्ते दमबख़ुद रह गए मगर रूह़े फ़ितरत मुस्कुरा रही थी.. हज़रते जिबरईल पुकार उठे मौला ये क्या माजरा है... अल्लाह ने फ़रमाया जिबरइल ख़ामोश हो जाओ.. जिस बच्चे को तुम सज़्दे की हालत मे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के कॉधो पर देख रहे हो इसी बच्चे ह़ुसैन को कल नेज़े पर चढ़ कर कु़रआ़न पढ़ते भी देखना .. आका़ ने इरादा किया की सज़्दे से सर उठाऊं.. इतने मे ह़ज़रत जिब्रइल आए और फ़रमाने ख़ुदावन्दी सुनाया जब तक ह़ुसैन अपनी मर्ज़ी से न उतरे तुम सज़्दे से सर न उठाना ... कमली वाले आक़ा ने नमाज़ लम्बी कर दी और 72 दफ़ा तस्बीह पढ़ी.. ह़जरत ह़ुसैन अपनी मर्ज़ी से उतरे और हसते खेलते घर गए... अम्मा से कहा अम्मा आज अजीब बात हुइ मै नाना के कॉधे पर बैठ गया और नाना ने सज़्दे से सर न उठाया अम्म...