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Showing posts from July, 2018

हज़रते जिबरईल पुकार उठे मौला ये क्या माजरा है...

मस्जिदे नबवी मे जमाअ्त हो रही थी इमामुल अम्बिया जमाअ्त करा रहे थे.. पढ़ने वाले मुक़्तदी चारो खलीफ़ा थे , हज़रते इमाम हुसैन की उम्र शरीफ़ 6 साल थी.. मदीना शरीफ़ की गलियों मे खेल रहे थे और मस्जिद मे आ गए , नाना के मुसल्ले की तरफ़ देखा... नाना सज़्दे मे गए नवासे ने छलॉग लगाइ और कॉधे पर बैठ गए अर्श वाले हैरान.. फ़रिश्ते दमबख़ुद रह गए मगर रूह़े फ़ितरत मुस्कुरा रही थी.. हज़रते जिबरईल पुकार उठे मौला ये क्या माजरा है... अल्लाह ने फ़रमाया जिबरइल ख़ामोश हो जाओ.. जिस बच्चे को तुम सज़्दे की हालत मे मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के कॉधो पर देख रहे हो इसी बच्चे ह़ुसैन को कल नेज़े पर चढ़ कर कु़रआ़न पढ़ते भी देखना .. आका़ ने इरादा किया की सज़्दे से सर उठाऊं..   इतने मे ह़ज़रत जिब्रइल आए और फ़रमाने ख़ुदावन्दी सुनाया जब तक ह़ुसैन अपनी मर्ज़ी से न उतरे तुम सज़्दे से सर न उठाना ... कमली वाले आक़ा ने नमाज़ लम्बी कर दी और 72 दफ़ा तस्बीह पढ़ी.. ह़जरत ह़ुसैन अपनी मर्ज़ी से उतरे और हसते खेलते घर गए... अम्मा से कहा अम्मा आज अजीब बात हुइ मै नाना के कॉधे पर बैठ गया और नाना ने सज़्दे से सर न उठाया अम्म...

इब्राहिम अलैहिस्सलाम की दुआ...

رَبِّ اجۡعَلۡنِیۡ مُقِیۡمَ الصَّلٰوۃِ   وَ مِنۡ ذُرِّیَّتِیۡ ٭ۖ رَبَّنَا وَ تَقَبَّلۡ دُعَآءِ ﴿ ۴۰ ﴾ ✦ ए मेरे रब मुझे नमाज़ कायम करने वाला बना   और मेरी औलाद में से भी , ए हमारे रब   मेरी दुआ क़ुबूल फरमा सूरह इब्राहिम :- 14 : 40   नबी सल अल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ख्वाब बयान करते हुए फरमाया के जिस का सर पत्थर से कुचला जा रहा था वो क़ुरआन का हाफ़िज़ था मगर वो क़ुरआन से गाफिल हो गया और फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े बगैर सो जाया करता था। सही बुखारी :- 1143   ✦ अबू दर्दा रदी अल्लाहू अन्हो कहते है कि मेरे खलील सलअल्लाहु अलैही वसल्लम   ने मुझे वसीयत की है के तुम अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करना चाहे तुम टुकड़े टुकड़े कर दिए जाओ ' और जला दिए जाओ , और फ़र्ज़ नमाज़ को जान बुझ कर मत छोड़ना क्योंकि जो जानबूझ कर फ़र्ज़ नमाज़ छोड़   दे तो उस पर से अल्लाह की पनाह उठ गई (यानी अब वो अल्लाह की पनाह में नही) और शराब मत पीना क्योंकि शराब तमाम बुराई की कुंजी (चाबी) है सुनन इब्न माज़ा :- 4034   हदीस: अब्दुल्लाह बिन बुरैदा रदी-अल्लाहू-अन्हु ने अपने वालिद से रिवायत...

हदीस की बाते

  अब्दुल्लाह बिन मसूद रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया बदफाली (शगुन में यकीन करना) शिर्क है किसी को बदफाली (शगुन) का वहम हो तो (अल्लाह सुबहानहु पर भरोसा करे) अल्लाह सुबहानहु उस भरोसे की वजह से उसको दूर फरमा देगा। सुनन इब्न माजा . इब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की नबी सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया मेरी उम्मत के 70,000 लोग बिना हिसाब के जन्नत में जाएँगे ये वो लोग होंगे जो झाड़-फूँक नही करते हैं और ना शगुन लेते हैं ( यानी अच्छे बुरे शगुन में यकीन नही करते) और अपने रब पर ही भरोसा करते हैं सही बुखारी , जिल्द 7, 6472 तशरीह : शगुन यानि फ़ालतू बातों में यकीन करके उस काम को छोड़ देना जैसे काली बिल्ली रास्ता काट जाने से काम ख़राब होता , घर से दही पीकर निकलने से काम अच्छा होता है ये सब शगुन में आता है , ऐसी बातो का यकीन नहीं करना चाहिए क्यूंकि होता वही है जो अल्लाह चाहता है   मआज बिन जबल रदिअल्लाहु अन्हो कहते है कि मैन रसूल अल्लाह सल अल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना :अल्लाह तबारक वा ताला ने फ़रमाया: मेर...

क्या गैर मुस्लिम को क़ुरआन दिया जा सकता है

सवाल " क्या गैर मुस्लिम को क़ुरआन दिया जा सकता है ???" 👉 जवाब हमारे बहुत से मुस्लिम भाई बहनो को यह गलतफहमी है कि क़ुरआन सिर्फ मुसलमानों की किताब है और गैर मुस्लिमों को क़ुरान नहीं दे सकते क्योंकि वो नापाक होते है और क़ुरान को पाकी की हालत में ही छू सकते है। आइये इस बात को समझने के लिए क़ुरआन का फ़ैसला देखें। " रमज़ान का महीना वह है , जिसमें क़ुरान उतारा गया , जो लोगों के लिए हिदायत है।" (सूरः बक़र 2:185) इस आयत में अल्लाह ने कहा कि ये क़ुरआन लोगों के लिए हिदायत है। और देखे , अल्लाह ने कहा , " बहुत बाबरकत है वो अल्लाह जिसने अपने बन्दे पर फुरकान (क़ुरआन) नाज़िल किया , ताकि वो तमाम लोगों के लिये आगाह करने वाला बन जाये। (सूरः फुरकान 25:1)" क़ुरआन में आगे अल्लाह ने कहा , " यह क़ुरआन सभी लोगों के लिए इत्तला नामा है , कि इसके ज़रिये वे बाख़बर कर दिए जायें और पूरी तरह से मालूम कर लें कि अल्लाह एक ही इबादत के लायक है , और ताकि अक़्लमंद लोग सोच समझ लें। (सूरः इब्राहीम 14:52)" मेरे भाइयों ज़रा ध्यान से पढ़े इस आयत को यहाँ अल्लाह ने साफ...

चार सवाल चार जवाब

चार सवाल चार जवाब  एक ईसाई बादशाह ने “ हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु ” चार कठिन सवाल पूछे , पढ़िए कैसे जवाब दिया उस बादशाह को चार सवाल चार जवाब | एक निसरानी ( ईसाई ) बादशाह ने चार सवाल लिख कर हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु के पास भेजा। उनके जवाब आसमानी किताबों में से देने का मुतालबा किया। सवाल ये हैं 1: एक माँ के पेट से दो बच्चे एक ही दिन एक ही वक्त पैदा हुए।। फिर दोनों का इंतिकाल भी एक ही दिन हुआ एक भाई की उम्र सो साल बड़ी और दुसरे की उम्र सौ साल छोटी हुई। ये कौन थे …? और ऐसा किस तरह हुआ …? 2: वो कौन सी जमीन है जहां शुरुआत से कयामत तक सिर्फ एक बार सूरज की किरने लगीं।।। न पहले कभी लगीं थी न अब कभी लगेंगी ….? 3: वो कौन सा कैदी है जिसकी कैदखानें में सांस लेने की इजाजत नहीं और वो बगैर सांस लिए जिंदा रहता है ….? 4: वो कौन सी कबर है जिसका मुर्दा भी जिंदा और कबर भी जिंदा और कबर अपने अंदर दफन हुए को सैर कराती फिरती थी फिर वो मुर्दा कबर से बाहर निकल कर ज़िंदा रहा और कुछ दिनों बाद वफात पाया …? हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु ने हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु अन्ह...

हदीस की बाते

हदीस की बाते  हर जान को मौत का मज़ा चखना है , और तुमको पूरा-पूरा अज्र तो बस क़यामत के दिन मिलेगा , पस जो शख़्स आग से बचा लिया जाए और जन्नत में दाख़िल किया जाए वही कामयाब रहा , और दुनिया की ज़िंदगी तो बस धोके का सौदा है। सूरह आले इमरान :- 3 : 185   और ऐसे लोगों की तौबा क़बूल नहीं है जो बराबर गुनाह करते रहें , यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मौत का वक़्त आजाए तब वह कहेः अब मैं तौबा करता हूँ , और न उन लोगों की तौबा (क़ाबिले-क़बूल है) जो इस हाल में मरते हैं कि वह काफ़िर हैं , उनके लिए तो हमने दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है। सूरह निसा :- 4 : 18   हर जानदार को मौत का मजा चखना है , और हम अच्छे और बुरे हालात में डाल कर तुम सब की आजमाइश कर रहे है , आखिरकार तुम्हे हमारी तरफ ही पलटना है। और ये अल्लाह के सिवाय उन्हें पूज रहें हैं जिसका कोई आसमानी सबूत नहीं , और ना वे खुद ही इसका कोई इल्म (ज्ञान) रखते हैं , ज़ालिमों का कोई सहायक नहीं। हे लोगों! एक मिसाल दी जा रही है , ज़रा ध्यान से सुनो , अल्लाह के सिवाय तुम जिन-जिन को पुकारते रहे हो वे एक मक्खी तो पैदा नहीं कर सकते अगर सारे के...

ईमान कि हद'

ईमान कि हद ' एक ज़ईफ़ बुज़ुर्ग औरत अपनी झोपड़ी में रात को इबादत से फ़ारिग़ होकर सोने से पहले अल्लाह तआला से अर्ज़ कर रही थी , "ऐय सबको पालने वाले क्या आज तू मुझे भूल गया ? आज कहीं से भी मेरा खाना नहीं आया ?" एक ' नास्तिक ' ने उधर से गुज़रते हुए उसकी ये बात सुनली और फ़ौरन उसके शैतानी दिमाग़ में उस बुज़ुर्ग औरत का मज़ाक़ बनाने का प्लान आ गया ! उसने एक टिफ़िन में बोहोत सा खाना पैक कराया और अपने नौकर से कहा "ये खाना उस बुढ़िया को दे आओ और जब वो पूछे कि ये खाना किसने भेजा है तो तू कह देना कि ये खाना ' शैतान ' ने भेजा है ।" नौकर ने झोपड़ी में जाकर जब वो खाना उस बुज़ुर्ग औरत को दिया तो वो अपने परवरदिगार का शुक्र अदा करने लगी , लेकिन ये नहीं पूछा कि ये खाना किसने भेजा है । आख़िर मजबूर होकर लौटते वक़्त नौकर को ही पूछना पड़ा के "तुमने ये तो पूछा ही नहीं के ये खाना किसने भेजा है ?" बुज़ुर्ग औरत ने जवाब दिया , "मुझे ये पूछने की ज़रूरत ही नहीं है क्योंकी मेरा परवरदिगार इतना बड़ा है कि अगर वो शैतान को भी हुक्म दे दे तो उस शैतान को ...

मैदान-ए-जंग में गैबी मदद

रिवायत है कि रूमियो और मुसलमानों में जग शुरू होने से पहले हजरत शरजिल  ने अपने साथियों से कहा -साथियों| रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है Jannat तलवारों के साए में है और अल्लाह रब्बुल इज्जत को वह खून का कतरा और वह आंख आंसू ज्यादा प्यारा है  जो अल्लाह तआला की राह में  टपका और अल्लाह के खौफ से  निकला | दुश्मनों से डटकर लड़ो  उन पर तीर बरसाओ यह तीर बेकार नहीं जाएंगे  तीर चलाना तुम्हारा काम है  दुश्मनों के सीने में उतारना अल्लाह जब्बरौ कहहार  का काम है |            यह सुनने के बाद मुसलमान  दुश्मनों पर टूट पड़े  ₹12000 रुमियों से   मुट्ठी भर मुसलमान  लड़ रहे थे | एक मुजाहिद ने  बताया कि उस वक्त  रोमियो के बीच  मुसलमानों की हैसियत ऐसी थी जैसे काले उट पर एक सफेद तिल | मुसलमान जान तोड़कर लड़ रहे थे|  उस वक्त हजरत शरजिल फोजो  के बीच हाथ उठा अल्लाह की बारगाह में रो-रो कर दुआ फरमा रहे थे  कि -  ऐ अल्लाह ऐ हमारी खालिको   मालिक तूने अपने नबी सैयद...

रोजा के डॉक्टरी फायदे

 अल्लाह ताला ने मुसलमानों पर रमजान शरीफ के रोजे खर्च किए हैं। अल्लाह ताला की तरफ से बंदों पर यह इबादत बेमिसाल है। रोजा इबादत ही नहीं बल्कि इंसान को कई बीमारियों से महफूज रखता है जैसे, जिस्मानी और जहनी दबाव, मिर्गी, वजन बढ़ना ,पेट की कई बीमारियां, नींद की कमी वगैरह का रोजा बहुत अच्छा इलाज है। आंतों का पुराना वरम  मय  पेशाब की बीमारी के, जैसे बदबूदार पेशाब आना और खराब मैदे का इलाज भी भेजा है। ऊपर लिखी बीमारियों में रोजा एक कामयाब इलाज है क्योंकि दोनों वक्त खाने के बीच खासकर पानी नहीं पिया जाता कि एक खाने से दूसरे खाने के बीच लंबा ठहराव हो जाता है। इंसान का वजन कम हरकत करने वाला और ज्यादा खाने से वजन बढ़ जाए तो रोजा रखने से बराबरी पर आ जाता है। शर्त यह है कि ईफंततार.के वक्त कम मिकदार में गिरजा खाई जाए और सहरी के वक्त भी मुनासिब खुराक पर ही सब्र करना अच्छा है, क्योंकि इन दोनों वक्त में कई तरह की गिजाओ का इंतजाम हो जाता है और रोजेदार भूखा रहता है तो कुछ ज्यादा ही खाने में आ जाता है, इसलिए अहतियात  जरूरी है।           ...

जान के अनजान हो ना

एक बुडिया जिसका बेटा विदेस में रेता था व हर महीने अपनी माँ को एक खत में एक चेक बेजता था वो बुडिया उस ख़त को वसूल करती उसे चूमती अपनी आँखों से लगाती और फिर उसको बक्से में बंद करके रख देती वो ये तो जानती थी कि इसके प्यारे बेटे का बड़ा ही प्यारा ख़त है लेकिन इस अनपढ़ बुडिया को पता नहीं था की ये ख़त नहीं बल्कि उसके बेटे ने पैसे का चेक भेजा हे जिसे  वो बैंक लेकर जाती तो उसको पैसे मिलते लेकिन वो बुडिया गरीबी और फाके में मर गयी उसको सारी जिंदगी ये न पता चला सका कि उसका बेटा उसके लिए पैसे भेजता रहा था अल्लहा का कलाम हमारे पास आया लेकिन हमने भी उस बुडिया की तरह इसको आँखों से लगाया इसको चूमा और सीने से लगाया गिलाफ में बंद करके उची जगह पर एहतराम रख दिया लेकिन इसके फायदा और हिदायत हासिल ना कि

और फिर चिराग बुझा दिया

एक सहाबी रोजा पर रोजा रखते थे इफ्तार के लिए कोई चीज खाने के लिए नहीं मिलती थी अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक अंसारी साहब हजरत साबित  अल्लाह उन्होंने इस बात को ताड़ लिया फॉरेन अपने घर गए BP से कहा कि मैं रात को एक मेहमान लाऊंगा जब खाना शुरू करो तो तुम जरा दुरुस्त करने के बहाने उसे बुझा देना और जब तक मेहमान का पेट न भर जाए खुद ना खाना उन्होंने ऐसा ही किया मेहमान के साथ घरवाले मेजबान दिखाने के लिए बैठ गए और भी ऐसे शरीफ रहे जैसे खा रहे हो सुभान अल्लाह इस बेहतरीन बहाने से मेहमान ने भरपेट खाना खा लिया हजरत साबिर साथ बैठे रहे हाथ खाने तक ले जाते मुंह तक लाते बड़ा अच्छा इंसान था जब हजरत साबित सुबह हजूर की मजलिस में हाजिर हुए पैगंबर ए आजम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत साबिर से फरमाया कि रात को तुम्हारा मेहमान के साथ बर्ताव अल्लाह ताला को बहुत ही पसंद आया कैसे अच्छे लोग थे कि खुद भूखे रहकर मेहमान को खिला देते